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चार बाल उपन्यास : चार रंग / डॉ. नीरज दइया


 कोरोना काल हमारे इतिहास का एक दर्दनाक पृष्ठ है किंतु त्रासदी और दर्द को झेलते हुए इस काल में कुछ सुखद बातें भी हुई हैं। आदमी को खुद के भीतर झांकने का अवकाश मिला और एकांतवास में अनेक साहित्यकारों ने अपनी नई कृतियों का सृजन किया। मृत्यु से मुठभेड़ के बीच साहित्य का संगीत ही उन्हें फिर से इस नए संसार में अधिक उत्साह के साथ लाया है। डॉ. मोहम्मद अरशद खान बाल साहिय के सुपरिचित हस्ताक्षर हैं और आपने विविध विधाओं में विपुल साहित्य दिया है। आपके चार लघु बाल उपन्यासों का संकलन है- ‘अनोखी यात्रा’। जिसमें ‘अनोखी यात्रा’ शीर्षक-रचना के अलावा ‘अंतरिक्ष में हाहाकार’, ‘कांगो के जंगलों में’ और ‘परियों के देश में’ चार उपन्यासों को एक ही जिल्द में प्रकाशित किया गया है।
    डॉ. खान ने अपने ‘लेखकीय’ में लिखा है- ‘इस पुस्तक में मेरे चार लघु बाल-उपन्यास संकलित है, जिन्हें मैंने कोरोना के प्रकोप से जूझते हुए अपने एकांतवास को अवसाद से बचाने के लिए रचा था। भयावह एकांत और आशंका भरे क्षणों को जीतने का इससे बेहतर उपाय मेरे पास नहीं था।’ निसंदेह जीवन का वह एक अविस्मरणीय दौर रहा है। साथ ही यहां यकीन के साथ कहा जा सकता है कि आपने उस दौर में रचित इन चारों उपन्यासों को भी अविस्मरणीय बना दिया है।
    डॉ. मोहम्मद अरशद खान के इन बाल लघु उपन्यासों की एक अतिरिक्त विशेषता यह भी है कि आपने सुनियोजित चिंतन, जिद और जुनून के साथ इनको रचा है। यह सर्वविदित सत्य है कि अगर रचनाकार साहित्य की अपनी विधा के बारे में चिंतन करते हुए परंपरा-विकास को समझने का प्रयास करता है तो वह उस विधा में कुछ बेहतर अवदान कर सकता है। हिंदी उपन्यास में लघु उपन्यास की धारा है तो बाल उपन्यासों में होनी चाहिए। साहित्य खूब लिखा जा रहा है किंतु चिंतन इस विषय पर होना चाहिए कि बदलते दौर और परिदृश्य में जहां किताबें हाथों से छूटती जा रही है, वहीं रचनाओं की शब्द-सीमा को निरंतर संकुचित किया जा रहा है। ऐसे समय में अखबारों और पत्रिकाओं से गागर में सागर भरने के सूत्र जारी हो रहे हैं। तब किसी रचनाकार को सीमाओं में रहते हुए व्यापकता और विधा के विस्तार हेतु स्वयं की रचना में कैसे क्या संभव बनाया जा सकता है कि रचना पठनीय होने के साथ साहित्यिक महत्त्व को भी समय के साथ उजागर करे। डॉ. खान ने ‘चंद्रक्रांता संतति’ उपन्यास के हवाले से रोचकता और जिज्ञासा को आधुनिक समय में तकनीकी विकास के दौर में संभव बनाने का महती प्रयास लक्षित किया है और वे सफल भी रहे हैं। आप लिखते हैं- ‘इन लघु उपन्यासों में भी यह कोशिश यही रही है कि रोचकता और जिज्ञासा बराबर बनी रहे। बच्चा एक बार पढ़ना शुरू करे तो अंत तक पढ़कर ही रुके।’ यह कोशिश कथ्य, भाषा और शिल्प तीनों स्तरों पर एक साथ साधना इन बाल लघु उपन्यासों की विशेषता कही जा सकती है।
    संकलन के पहले बाल लघु उपन्यास ‘अनोखी यात्रा’ में एक पंतासी द्वारा सलीम को लाइब्रेरी के रहस्यमयी कमरे से अथाह समुद्र की यात्रा का रोमांचकारी वर्णन मिलता है। सर्वाधिक उल्लेखनीय तथ्य यह कि बाल लघु उपन्यास में क्रिस्टोफर कोलंबस की यात्रा के इतिहास को केंद्र में रखा गया है। इस यात्रा का एक प्रमुख अंश यहां बेहद सरलता और सहजता से जींवत बनाकर प्रस्तुत किया गया है। समुद्री यात्रा के रहस्य और सजीव वर्णनों, संवादों से यह रचना बाल पाठकों को सम्मोहित करने में सक्षम है। इसी प्रकार संकलन के दूसरे बाल लघु उपन्यास ‘अंतरिक्ष में हाहाकार’ में चार दोस्तों की कहानी है। उन्हें रहस्यमयी ढंग से अगवा कर लिया जाता है और वे अंतरिक्ष में होने वाले एक बड़े मिशन को पूरा करते हैं। हर उपन्यास पढ़ते समय ‘आगे क्या होगा?’ के कौतूहल में खोया पाठक जैसे-जैसे इस यात्रा में साथ-साथ चलता रहता है वैसे-वैसे वह अनेक तथ्यों और जानकारियों से अवगत होता है। ऐलियन के विरुद्ध स्पेस में हुए इस रोमांचकारी और निराले अभियान से पाठकों में देश-भक्ति और शौर्य-भावना प्रबल हो उठती है। पात्रानुकूल भाषा और तकनीकी विकास के आयाम इस रचना को यादगार बनाने के लिए पर्याप्त हैं।
    संकलन का तीसरा बाल लघु उपन्यास ‘कांगों के जंगलों में’ धरती के अनोखे सौंदर्य की छटाओं को दिखाने के साथ ही अजूबों की एक नई दुनिया से रू-ब-रू करता है। रोहन के माध्यम से हम स्वयं एक ऐसी यात्रा पर निकल पड़ते हैं कि कड़े संघर्ष के बाद सफलता मिली है और साथ ही यह शिक्षा भी कि जीवन में कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, भले परिस्थियां कैसी भी हो। मनुष्य के पास यदि हिम्मत और कठिन परिस्थितियों में धैर्य के साथ सोचने-विचारने की शक्ति है तो वह कुछ भी कर सकता है। प्रकारांतर से यह रचना बालकों के मन में इस विश्वास को बनाने में सक्षम है कि असंभव को संभव बनाना हमारे बाएं हाथ का खेल है। इसी भांति संकलन का चौथा बाल लघु उपन्यास ‘परियों के देश में’ जादूगर के बहाने बाल पाठकों को एक ऐसे कल्पना-लोक में ले जाता है जहां परियां हैं और जादू की एक अद्भुत कथा है।
    दुनिया वहीं है जहां हम हैं। हम हमारे विचारों और कल्पनाओं की दुनिया में गतिशील होते हुए एक नए और अनोखे संसार में प्रवेश कर अनेक नजारों को देख सकते हैं। मनुष्य के चारों तरफ बिखरे बाहरी और भीतरी जादू में साम्य को साधना लेखक की विशेषता है। इन सब से अतिरिक्त एक विशेष उल्लेखनीय तथ्य चारों रचनाओं का विश्लेषण करते हुए प्राप्त किया जा सकता है- इस संकलन के चार उपन्यास जैसे अलग-अलग चार अध्याय होते हुए जैसे चार परस्पर जुड़े लोक को हमारे सामने साकार करते हैं। कह सकते हैं कि यह चार आयामों की एक निराली कथा का कोश हैं। जिसमें जल-लोक को ‘अनोखी यात्रा’, थल-लोक को ‘कांगो के जंगलों में’, नभ-लोक को ‘अंतरिक्ष में हाहाकार’ को और कल्पना-लोक को ‘परियों के देश में’ केंद्र में रखते हुए लेखक ने कोरोना काल में न केवल स्वयं को वरन अपने पाठकों को ऊर्जा और स्फूति से भर देने का लक्ष्य साधा और सफल इसलिए कहें जाएंगे कि इन विशेष यात्राओं में सफलतापूर्वक जीवन का संगीत छिपा हुआ है। अनोखी यात्रा का यह अभियान बेहद सफल रहा है। संभवतः इसी के चलते संकलन का ‘अनोखी यात्रा’ नामकरण किया गया है। यह नाम चारों बाल लघु उपन्यासों द्वारा सार्थक सिद्ध होता है। ऐसे सफल, सुंदर और उपयोगी प्रकाशन के लिए उपन्यासकार के साथ-साथ प्रकाशक न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली को भी साधुवाद।

      समीक्षक : डॉ. नीरज दइया
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कृति : अनोखी यात्रा (चार बाल उपन्यास संग्रह)
रचनाकार : डॉ. मोहम्मद अरशद खान
प्रकाशक : न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली
पृष्ठ : 108 ; मूल्य : 175/-
प्रथम संस्करण : 2022
समीक्षक : डॉ. नीरज दइया

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