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कविताओं में बाल-मन की सहजता-सरलता / डॉ. नीरज दइया

 

    बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा से मेरा परिचय बहुत पुराना है। आपका साहित्य के प्रति निष्ठापूर्वक निरंतर कार्य करना हम सब को प्रभावित करता रहा है। भाई दीनदयाल शर्मा के पुत्र दुष्यन्त जोशी और दोनों पुत्रियां ऋतुप्रिया-मानसी शर्मा भी कविता लेखन में सक्रिय हैं, साथ ही कमलेश भाभी जी ‘टाबर-टोळी’ पाक्षिक के माध्यम से निरंतर साहित्य से जुड़ी हुई हैं। विविध विधाओं में स्वयं लेखन करना और अपने घर-परिवार-मित्रों को सतत सक्रिय बनाए रखना कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। हमारे भारतीय समाज में ऐसे गिने चुने परिवार ही होंगे, जहां साहित्य के प्रति इतनी कर्मठता-निरंतरता देखी जा सके।
    साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली से बाल साहित्य के लिए पुरस्कृत और प्रतिष्ठित साहित्यकार दीनदयाल शर्मा बेहद विनम्र है। आप विविध विधाओं में लिखते हैं। बाल साहित्य के साथ-साथ आप व्यंग्य, रेडियो नाटक, एकांकी और संस्मरण आदि पर आपकी अनेक कृतियां प्रकाशित हैं। हिन्दी भाषा के इस कविता संकलन ‘जहां मैं खड़ा हूं’ से पूर्व राजस्थानी भाषा में आपके अनेक कविता-संग्रह प्रकाशित हुए हैं।
    मेरा मानना है कि कवि दीनदयाल शर्मा मूलत: बाल साहित्यकार हैं। यही कारण है कि इस संग्रह की कविताओं में भी उनका वही बाल-मन सहजता-सरलता के साथ हमारा अनेक स्थलों पर स्वागत करता है। बाल मन की चंचलता, निर्मला, कोमलता और स्वच्छता आदि को यहां इन कविताओं में देख सकते हैं। कविताओं में घर-परिवार-मित्रों के साथ कवि की अपनी निजी दुनिया के अनेक घटनाक्रम और चित्रों से हमारा साक्षात्कार होता है। हम यहां शब्दों में जिस सहजता-सरलता के साथ मन की तरलता की अभिव्यक्ति देखते हैं वह प्रभावित करती है। कवि और कवि के संसार से जो हमारा परिचय पूर्व में रहा है, उसमें इन कविताओं द्वारा उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। यही इन कविताओं की सार्थकता है।
    कविता संग्रह भाभी जी को समर्पित है, भाई दीनदयाल शर्मा जी और कमलेश भाभी जी को विवाह की 35 वीं वर्षगांठ पर मैं बधाई और शुभकानाएं देते हुए कामना करता हूं कि इनका कविता संग्रह ‘जहां मैं खड़ा हूं’ सभी पाठकों को पसंद आएगा।  
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पुस्तक का नाम – जहां मैं खड़ा हूं (कविता-संग्रह)
कवि – दीनदयाल शर्मा
प्रकाशक – सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर
पृष्ठ- 112
संस्करण - 2021
मूल्य- 250/

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डॉ. नीरज दइया

05-09-2021


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