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डॉ. सुमन बिस्सा रो चौथो राजस्थानी कविता-संग्रै अंतस रा सुर सांतरा

           कविता जातरा अर विगासव नै देखण-परखण खातर आपां न्यारै-न्यारै ढंग-ढाळै सूं मारग लेवां कै जिण सूं उणनै आखै रूप मांय निरख-परख सकां। साव सीधो मारग- बगत री दीठ सूं बीसवीं अर इक्कीसवीं सदी रा दोय फंटवाड़ा माना। बियां हाल इक्कीसवीं सदी च्यार आना ई साम्हीं देखी हां, पण आधुनिक राजस्थानी कविता मांय खासकर नै महिला री कवितावां मांय मोटो नै उल्लेखजोग बदळाव संख्यात्मक अर गुणात्मक दीठ रो देख सकां। महिला कवियां बिचाळै डॉ. सुमन बिस्सा रो नांव हरावळ मानीजै। लगोलग कविता जातरा पेटै ‘अंतस रा सुर सांतरा’ आपरो चौथो राजस्थानी कविता-संग्रै है, जिण मांय असवाड़ै-पसवाड़ै रा भांत-भांत रा विसयां नै परोटण रा जतन साफ देख्या जाय सकै।
            आधुनिक राजस्थानी कविता रै आंगणै डॉ. सुमन बिस्सा रो नांव खास इण खातर ई मानीजैला कै बां इण पोथी मांय कविता री न्यारी न्यारी बुणगट नै परोटण री खिमता उजागर करै। बियां संग्रै री विगत मांय किणी ढाळै रो विभाजन कोनी पण संग्रै मांय छंद-अछंद साथै न्यारै-न्यारै काव्य-रूपां जियां- गीत, गजल, नवगीत, दोहा, सोरठा, कुंडलियां, मुक्तक, हाइकू अर नवी कविता आद देखण नै मिलै। कैवण रो अरथाव ओ है कै कवयित्री री प्रतिभा रो पूरो परिचै इण संग्रै मांय मिलै। आप जठै आपरी परपंरा सूं जुड़ी थकी आगै बधै बठै ई आधुनिक काव्य रूपां नै ई परोटण पेटै ई सावचेत निजर आवै।
            आधुनिक कविता पेटै डॉ. सुमन बिस्सा एक भरोसैमंद नांव है जिण री कविता मांय फगत राजस्थान ई नीं आखै जगत री माया-काया नै देखण-परखण अर भाखण री खिमता मिलै। जूनी बातां अर भरोसा नै तोड़’र बगत मुजब नवी बातां नै नवी भासा मांय अंगेजण रा अनुभव आं कवितावां मांय मिलैला। म्हैं इण संग्रै खातर बड़ी बैन सुमन बिस्सा जी नै मोकळी मंगळकामनावां अरपण करूं। म्हनै पतियारो है कै इण संग्रै रो जोरदार स्वागत हुवैला।

- डॉ. नीरज दइया   

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