डॉ. शील कौशिक का नया बाल कथा-संग्रह ‘धूप का जादू’ है, जिसमें 16 कहानियां हैं। शीर्षक कहानी में धूप का मानवीयकरण किया गया है। इस कहानी को पढ़ते हुए गीतकार गुलजार के वर्षों पहले लिखे गीत- ‘हवाओं पे लिख दो, हवाओं के नाम...’ का स्मरण होता है। इस गीत की पंक्ति है- ‘शाख पर जब, धूप आई, हाथ छूने के लिये - छाँव छम से, नीचे कूदी, हँस के बोली- आइये।’ प्रकृति का यह चुलबुलापन, भोलपन और सहज संवाद की स्थितियां जिस भाव भूमि की रचना हमारे भीतर करती है वह अद्वितीय है। यह भाव, भाषा और शिल्प की नवीनता के साथ रचनाकार की मौलिकता होती है कि वह ऐसे सहज-सामान्य से किसी बिम्ब से मर्म-स्पर्शी बात कह जाता है। ऐसा ही कहानी ‘धूप का जादू’ के साथ हुआ है। यहां डॉ. शील ने बहुत कम शब्दों में विज्ञान की ढेर सारी जानकारी, इस छोटी-सी कहानी में संजोकर अभिनव कार्य किया है। स्थितियां बदल चुकी है, अब जादू लोककथाओं अथवा परिकथाओं का नहीं है। असली और बड़ा जादू विज्ञान का है। जिस बच्चों को समझना चाहिए। इसी उद्देश्य से जीव-जगत और जीवन से धूप का यह बतियाना बेहद सुखद और शकुन भरा है। कहानी में संवादों के माध्यम से धूप ने जो कुछ कहा है वह बच्चों के स्तरानुकूल-ग्राह्य है। ‘काला आसमान’ कहानी भी विज्ञान से जुड़ी है जो ‘स्मॉग’ को स्पष्ट करती है।
‘लौट आई मुस्कान’ कहानी में प्रसिद्ध धारावाहिक ‘रजनी’ के गुण प्रकट होते हैं। बच्चों की समस्या के प्रति प्रिंसिपल से मिलकर समस्या को हल करना हमारी जिम्मेदारी और जबाबदेही को दर्शाती है। इसी भांति ‘पानी अनमोल’ में पानी को बचाने का संदेश है। इस कहानी के अंत में लेखिका का विषय के प्रति मोह प्रकट होता है जहां वह सारा से काव्य पंक्तियां लिखवा कर गुनगुनाने का जिक्र करती हैं तथा पानी बचाने के अभियान के जारी रहने की आशा प्रकट करती है। स्वभाविक रूप से कहानी जहां पूरी होती है उसे वहीं छोड़ दिया जाना चाहिए। सारा ने पानी का जैसे ही महत्त्व समझ लिया तो लेखिका को भरोसा होना चाहिए कि उसके पाठक भी महत्त्व समझ चुके हैं। ‘जल्दबाजी और ‘उपचार से रोकथाम भली’ ऐसी ही कहानियां हैं जिसे सप्रयास शिक्षा देने के लिए लिखा गया है।
‘जुनून के चलते’ कहानी बच्चों की तुलना में उनके अभिभावकों के लिए हैं जो बच्चों के अतिरिक्त प्यार में सब कुछ भूलकर उनकी अनावश्यक मांगों को पूरी करते हैं। समय पर सब कुछ होना चाहिए, बहुत सी बातें समय पर ही ठीक लगती है। दादा-दादी और नाना-नानी के प्रति बच्चों में लगाव हो उन्हें जीव-जंतुओं से प्रेम हो ऐसे ही विषयों को संग्रह की अन्य कहानियों में पिरोया गया है।
बदलते समय और परिवेश में बच्चों को बाल पत्र-पत्रिकाओं और किताबों से जोड़ा जाना चाहिए इसी उद्देश्य से बच्चों का एक अभियान कहानी ‘सपना बच्चों का’ में अभिव्यक्त हुआ है। यह हम सभी शिक्षित अभिभावकों को जिम्मेदारी है कि बच्चों को शब्दों के जादू से समय रहते परिचित कराएं। ज्ञान का विशाल भंडार और जीवनोपयोगी अनेक बातें बच्चे पढ़ते-लिखते साथ साथ इतर साहित्य के माध्यम से सीख सकते हैं ऐसी अभिलाषा के लिए डॉ. शील कौशिक बधाई की पात्र हैं। सुंदर-सुरुचिपूर्ण सज-सज्जा के साथ पुस्तक प्रकाशन से कहानियों की गुववत्ता बढ़ी है।
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पुस्तक : धूप का जादू (बाल कथा-संग्रह)
कहानीकार : डॉ. शील कौशिक
प्रकाशक : आयुष बुक्स, डी-3-ए, विश्वविद्यालयपुरी, गोपालपुरा बाईपास, जयपुर-302 018
संस्करण : 2018, पृष्ठ : 80
मूल्य : 150/-
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डॉ. नीरज दइया
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