-->

स्मृतियों में अभिव्यक्त होता आईजी का आत्मीय संसार / डॉ. नीरज दइया

 साहित्य संसार में आज डॉ. आईदानसिंह भाटी एक प्रमुख और जाना-पहचाना नाम है। अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित लब्धप्रतिष्ठित यह कवि-आलोचक अपनी मित्र-मंडली में आईजी के नाम से विख्यात है। साद्य कृति ‘स्मृतियों के गवाक्ष’ में ना केवल आपके विगत जीवनानुभवों का सुंदर संयोजन है वरन यहां हमें स्मृतियों में अभिव्यक्त होता आईजी का आत्मीय संसार भी दृष्टिगोचर होता है। इस कृति के माध्यम से हम यह भी जान सकते हैं कि किसी लेखक के रचना-संसार के समानांतर उसकी स्वयं की दुनिया में कितनी-कैसी आशाएं-निराशाएं, संबंध-संपर्क और साथी रचनाकारों से अपनापा होता है।
            ‘स्मृतियों के गवाक्ष’ में सत्राह संस्मरणों को संकलित किया गया है, इनके संदर्भ में लेखन ने पुस्तक के पूर्व स्पष्ट किया है- ‘ये संस्मरण डेढ़ से तीन दशक पुराने हैं। यादों की पगड़ंडियां तो बचपन की है, जिसमें मेरी ढाणी ठाकरबा गांव नोख और बाप गांव तक सीमित है, किंतु यादों के गवाक्ष जोधपुर की सड़कों पर आने के बाद खुलते हैं।’ संस्मरण विधा की अन्य पुस्तकों की भांति यहां भी आईजी की लेखकीय दुनिया की सुनहरी यादें हैं, जिनमें उनके जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर जैसे कर्मस्थलों की सुवास महकती है तो साथ ही यहां एक गांवाई विद्यार्थी अपने जीवन में कैसे सफल हुआ, वह कैसे अपने संसार में स्वयं को गढ़ता है या उसकी दुनिया उसे बनाती है इसके भी अनेक सूत्र यहां मौजूद हैं।
            यह पुस्तक हमें लेखक डॉ. आईदान सिंह भाटी के हवाले बाबा नागार्जुन, डॉ. नामवर सिंह, डॉ. विमल, नेमीचंद भावुक, हरीश भादानी, शिवरतन थानवी, बिज्जी, दीनदायल ओझा, विभूतिनारायण राय, शिवमूति, सत्यनारायण, डॉ. शाहिद मीर, प्रो. नईम, रघुनंदन त्रिवेदी आदि प्रख्यात हिंदी, राजस्थानी और उर्दू भाषा के विद्वानों, रचनाकारों-आलोचकों से मिलवाने का सुंदर उपक्रम करती है। अपने छात्र-जीवन के संघर्षों-कठिनाइयों के साथ यहां आईजी अपने ‘रस-प्रसंग’ को भी उजागर करने से गुरेज नहीं करते हैं। अपने स्नेहिल गुरुजनों, मित्रों और साथी रचनाकारों का स्मरण करते हुए कहीं कहीं उनका आलोचक रूप मुखरित होकर कृतियों और रचनाओं से भी हमारा परिचय करवाता है, तो कहीं इन प्रसंगों के सुंदर वार्तालाप के साथ पत्र-संवाद से भी हमें आनंदित करता है। वेशक आईजी की पहचान श्रुति परंपरा के वरेण्य कवि के रूप में होती रही हैं, किंतु यहां उनके गद्य में उनका आलोचक और बेहद आत्मीय चेहरा दिखाई देता है जिससे संबंधों को निभाने और गुणगान का हुनर सीखा जा सकता है। किसी भी बेहतर संस्मरण कृति की प्रमुख विशेषता होती है कि वह जिस जिस को उल्लेखित करे, उसे पूरी ऊर्जा के साथ रेखांकित करते हुए स्वयं को गौण रखे और यही विशिष्टता ‘स्मृतियों के गवाक्ष’ कृति को प्रमुख बनाती है। इस कृति के पाठ से हम अपने प्रिय लेखक-कवि आईजी के अनछुए, अज्ञात अथवा अल्पज्ञाअत अनेक पहलुओं को जान सकते हैं।   
---------
पुस्तक का नाम – स्म्रुतियों के गवाक्ष (संस्मरण संग्रह)
कवि – आईदानसिंह  भाटी
प्रकाशक – रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर
पृष्ठ- 144
संस्करण - 2020
मूल्य- 300/-

-----------------

डॉ. नीरज दइया


Share:

No comments:

Post a Comment

Search This Blog

शामिल पुस्तकों के रचनाकार

अजय जोशी (1) अन्नाराम सुदामा (1) अरविंद तिवारी (1) अर्जुनदेव चारण (1) अलका अग्रवाल सिग्तिया (1) अे.वी. कमल (1) आईदान सिंह भाटी (2) आत्माराम भाटी (2) आलेख (11) उमा (1) ऋतु त्यागी (3) ओमप्रकाश भाटिया (2) कबीर (1) कमल चोपड़ा (1) कविता मुकेश (1) कुमार अजय (1) कुंवर रवींद्र (1) कुसुम अग्रवाल (1) गजेसिंह राजपुरोहित (1) गोविंद शर्मा (1) ज्योतिकृष्ण वर्मा (1) तरुण कुमार दाधीच (1) दीनदयाल शर्मा (1) देवकिशन राजपुरोहित (1) देवेंद्र सत्यार्थी (1) देवेन्द्र कुमार (1) नन्द भारद्वाज (2) नवज्योत भनोत (2) नवनीत पांडे (1) नवनीत पाण्डे (1) नीलम पारीक (2) पद्मजा शर्मा (1) पवन पहाड़िया (1) पुस्तक समीक्षा (85) पूरन सरमा (1) प्रकाश मनु (2) प्रेम जनमेजय (2) फकीर चंद शुक्ला (1) फारूक आफरीदी (2) बबीता काजल (1) बसंती पंवार (1) बाल वाटिका (22) बुलाकी शर्मा (3) भंवरलाल ‘भ्रमर’ (1) भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ (1) भैंरूलाल गर्ग (1) मंगत बादल (1) मदन गोपाल लढ़ा (3) मधु आचार्य (2) मुकेश पोपली (1) मोहम्मद अरशद खान (3) मोहम्मद सदीक (1) रजनी छाबड़ा (2) रजनी मोरवाल (3) रति सक्सेना (4) रत्नकुमार सांभरिया (1) रवींद्र कुमार यादव (1) राजगोपालाचारी (1) राजस्थानी (15) राजेंद्र जोशी (1) लक्ष्मी खन्ना सुमन (1) ललिता चतुर्वेदी (1) लालित्य ललित (3) वत्सला पाण्डेय (1) विद्या पालीवाल (1) व्यंग्य (1) शील कौशिक (2) शीला पांडे (1) संजीव कुमार (2) संजीव जायसवाल (1) संजू श्रीमाली (1) संतोष एलेक्स (1) सत्यनारायण (1) सुकीर्ति भटनागर (1) सुधीर सक्सेना (6) सुमन केसरी (1) सुमन बिस्सा (1) हरदर्शन सहगल (2) हरीश नवल (1) हिंदी (90)

Labels

Powered by Blogger.

Blog Archive

Recent Posts

Contact Form

Name

Email *

Message *

NAND JI SE HATHAI (साक्षात्कार)

NAND JI SE HATHAI (साक्षात्कार)
संपादक : डॉ. नीरज दइया