-->

स्त्री की आंख से देखी गई दुनिया / डॉ. नीरज दइया

हिंदी की प्रतिष्ठित कवयित्री सुमन केशरी के बहुचर्चित कविता संग्रह को राजस्थानी में "मोनालिसा री आंख्यां" नाम से ललिता चतुर्वेदी ने अनूदित किया है। यह इसलिए भी स्वागत योग्य है कि राजस्थानी में महिला लेखन कम हुआ है और जो हुआ है उसमें सुमन केशरी की यह कविताएं एक प्रेरणा और दिशा का काम कर सकती हैं। किसी भी भाषा में एक स्त्री की आंख से देखी-समझी और परखी गई दुनिया का अपना महत्व होता है। क्योंकि उसके घर बनाने और घर को बचाने का सपना जीवन पर्यंत चलता रहता है। इस संसार में बसे हुए या कहें बने हुए किसी भी घर से बहुत सुंदर एक ऐसा घर है जिस का चित्रण कवयित्री ने किया है -
मरुधर री तपती रेत माथै
आपरी चूनड़ी बिछा'र
बीं माथै एक लोटो पाणी
अर बीं माथै ई रोटियां राख'र
हथाळी सूं आंख्यां आडी छियां करती
लुगाई
ऐन सूरज री नाक रै नीचै
एक घर बणाय लियो।
घर परिवार और जीवन का इससे सुंदर चित्रण अन्यत्र दुर्लभ है।
मोनालिसा एक ऐसी नायिका है जो सर्वकालिक और सर्वदेशीय है। वैसे इस संग्रह में मोनालिसा नाम से तीन कविताएं हैं और साथ ही एक शीर्षक कविता भी। इनके माध्यम से संग्रह केंद्रीय संवेदना को दिशा मिली है। इसमें जीवन का व्यापक यथार्थ, मौलिकता और अंतर्निहित एक व्यंग दृष्टि भी देखी जा सकती है। यहां बिना किसी आवेग अथवा नारों के इन कविताओं में एक स्त्री का संघर्ष विभिन्न बिंबों और प्रतीकों के माध्यम से मुखरित होता है। राजस्थानी के इस शब्दानुवाद के माध्यम से ललिता चतुर्वेदी ने कवयित्री सुमन केशरी की कविताओं के मर्म को छूने का पहला पहला प्रयास किया है। यह अनुवाद इसलिए एक सफल अनुवाद कहा जा सकता है कि इससे गुजरने के बाद पाठक के मन में कवयित्री सुमन केशरी की अन्य रचनाओं को पढ़ने जानने की उत्सुकता जाग्रत होती है। संग्रह बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित हुआ है।

(आभार : उमा जी और संपादकीय टीम डेली न्यूज)

डॉ. नीरज दइया


Share:

No comments:

Post a Comment

Search This Blog

शामिल पुस्तकों के रचनाकार

अजय जोशी (1) अन्नाराम सुदामा (1) अरविंद तिवारी (1) अर्जुनदेव चारण (1) अलका अग्रवाल सिग्तिया (1) अे.वी. कमल (1) आईदान सिंह भाटी (2) आत्माराम भाटी (2) आलेख (11) उमा (1) ऋतु त्यागी (3) ओमप्रकाश भाटिया (2) कबीर (1) कमल चोपड़ा (1) कविता मुकेश (1) कुमार अजय (1) कुंवर रवींद्र (1) कुसुम अग्रवाल (1) गजेसिंह राजपुरोहित (1) गोविंद शर्मा (1) ज्योतिकृष्ण वर्मा (1) तरुण कुमार दाधीच (1) दीनदयाल शर्मा (1) देवकिशन राजपुरोहित (1) देवेंद्र सत्यार्थी (1) देवेन्द्र कुमार (1) नन्द भारद्वाज (2) नवज्योत भनोत (2) नवनीत पांडे (1) नवनीत पाण्डे (1) नीलम पारीक (2) पद्मजा शर्मा (1) पवन पहाड़िया (1) पुस्तक समीक्षा (85) पूरन सरमा (1) प्रकाश मनु (2) प्रेम जनमेजय (2) फकीर चंद शुक्ला (1) फारूक आफरीदी (2) बबीता काजल (1) बसंती पंवार (1) बाल वाटिका (22) बुलाकी शर्मा (3) भंवरलाल ‘भ्रमर’ (1) भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ (1) भैंरूलाल गर्ग (1) मंगत बादल (1) मदन गोपाल लढ़ा (3) मधु आचार्य (2) मुकेश पोपली (1) मोहम्मद अरशद खान (3) मोहम्मद सदीक (1) रजनी छाबड़ा (2) रजनी मोरवाल (3) रति सक्सेना (4) रत्नकुमार सांभरिया (1) रवींद्र कुमार यादव (1) राजगोपालाचारी (1) राजस्थानी (15) राजेंद्र जोशी (1) लक्ष्मी खन्ना सुमन (1) ललिता चतुर्वेदी (1) लालित्य ललित (3) वत्सला पाण्डेय (1) विद्या पालीवाल (1) व्यंग्य (1) शील कौशिक (2) शीला पांडे (1) संजीव कुमार (2) संजीव जायसवाल (1) संजू श्रीमाली (1) संतोष एलेक्स (1) सत्यनारायण (1) सुकीर्ति भटनागर (1) सुधीर सक्सेना (6) सुमन केसरी (1) सुमन बिस्सा (1) हरदर्शन सहगल (2) हरीश नवल (1) हिंदी (90)

Labels

Powered by Blogger.

Blog Archive

Recent Posts

Contact Form

Name

Email *

Message *

NAND JI SE HATHAI (साक्षात्कार)

NAND JI SE HATHAI (साक्षात्कार)
संपादक : डॉ. नीरज दइया